नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाने के बाद अब एक और पत्र पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को लिखा गया है. यह पत्र पिछले साल कांग्रेस से निकाले गए नेताओं ने लिखा है. अनुशासनहीनता के आरोप में निष्कासित नेताओं के एक गुट ने
सोनिया गांधी को पत्र लिखकर उनसे ”परिवार के मोह” से ऊपर उठकर पार्टी में संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को बहाल करते हुए इसे चलाने का आग्रह किया है. निष्कासित नेताओं में से पूर्व सांसद संतोष सिंह और पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी समेत नौ नेताओं ने दो सितम्बर को पार्टी अध्यक्ष
सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने लोकतांत्रिक मूल्यों और विचारधारा के साथ कांग्रेस और देश को बनाया है, लेकिन विडम्बना यह है कि पिछले कुछ समय से पार्टी जिस तरह से चल रही है उससे पार्टी कार्यकर्ताओं में असमंजस और अवसाद की स्थिति बन गई है.
कुछ दिनों पहले शशि थरूर, कपिल सिब्बस, गुलाम नबी आजाद के अलावा कांग्रेस के 20 नेताओं ने कांग्रेस नेतृत्व को लेकर गांधी परिवार पर सवाल उठाए थे. इन नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पूर्णकालिक, दृश्यमान नेतृत्व की जरूरत जताई थी. उन्होंने संगठन में बदलाव करने और अधिकारों का विकेंद्रीकरण करने की बात भी कही थी.
नेताओं ने सोनिया से कहा है कि संवादहीनता का आलम यह है कि दूसरे प्रदेशों को छोड़िए आप के गृह प्रदेश उत्तर प्रदेश में ही संगठन की घटनाएं पार्टी अध्यक्ष के संज्ञान में नहीं लाई जा रही हैं या फिर आपने सब जानते हुए भी आंखें बंद कर ली हैं.
इन नेताओं ने अपने निष्कासन का जिक्र करते हुए पत्र में कहा कि एक वर्ष बीतने को है मगर अनुरोध के बावजूद उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया. पार्टी की केंद्रीय अनुशासन समिति भी कुछ नहीं सुन रही है. ऐसा लगता है कि कांग्रेस कार्यालय में ताला बंद है.