सुप्रीम कोर्ट में टाटा संस ने जीती कानूनी लड़ाई, साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने को बताया सही

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को टाटा संस के पक्ष में फैसला सुनाया है। ये टाटा संस की बड़ी जीत है और साइरस मिस्त्री को बड़ा झटका लगा है। साइरस मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में अचानक टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था। जिसके बाद टाटा संस के खिलाफ साइरस मिस्त्री ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने साइमन मिस्त्री के पक्ष में फैसला सुनाया था और साइमन को चेयरमैन के पद पर बहाल करने का आदेश दिया था। एनसीएलएटी के इस फैसले के खिलाफ 2020 में टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिसमें आज सुप्रीम कोर्ट ने टाटा संस के पक्ष में फैसला सुनाया है। जिसके बाद साइमन मिस्त्री और टाटा संस के बीच चल रही कानूनी लड़ाई पर आज विराम लग गया है। इसके साथ ही एससी ने 10 जनवरी 2020 को शीर्ष अदालत ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के फैसले पर रोक लगा दी और साथ ही शीर्ष न्यायालय ने माना कि साइमन को चेयरमैन पद से हटाना सही था। शीर्ष अदालत ने उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के अध्यक्ष के पद पर बहाल करने की अनुमति दी थी। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने एनसीएलएटी के आदेश को रद्द करते हुए टाटा ग्रुप की सभी याचिकाओं को स्वीकार करते हुए मिस्त्री ग्रुप की सभी याचिकाओं को रद्द कर दिया है। इसके अलावा शेयर से जुड़े मामले के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टाटा संस और साइमन मिस्त्री दोनों समूह को मिलकर आपस में सुलझाना होगा। 100 अरब डॉलर वाले टाटा संस समूह की ये बड़ी जीत है। टाटा समूह ने कहा था कि चेयरमैन को हटाना गलत नहीं था जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने भी पिछले साल 17 दिसंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था।शापूरजी पलोनजी (एसपी) समूह ने 17 दिसंबर को शीर्ष अदालत को बताया था कि अक्टूबर 2016 में हुई बोर्ड मीटिंग में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना एक "ब्लड स्पोर्ट" और "एंबुश" के समान था और पूरी तरह से नियमों का उल्लंघन था। दूसरी ओर, टाटा समूह ने आरोपों का घोर विरोध किया था और कहा था कि कोई गलत काम नहीं हुआ है और बोर्ड मिस्त्री को अध्यक्ष पद से हटाना उसके अधिकार में शामिल है।
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